Updhan Ma Mali Jase Maro Aatma ( Hindi Lyrics )
(रचना : मुनिराज श्री निपुण रत्न विजयजी म.सा)
सौनी à¤ेगो पण छे-जुदो मुज आत्मा,
उपधानमां मळी जाशे मारो आत्मा…
जिनवाणी ने सुणता सुणता दूर थशे अज्ञान,
गुरु जयन्त नी जन्म à¤ूमिमां पामशुं आतमज्ञान
प्रमादà¤ावथी… दूर रही ने,
उपयोगमांहे चित्त धरीने…
अधिकार सूत्र नो पामशे मारो आत्मा,
उपधानमां मळी जाशे मारो आत्मा…
शोà¤ी रह्या जे मधुकर वीर छे,
नित्यसेन सुरीजी धीर गंà¤ीर छे…
अनुà¤à¤µाशे-निपुणताथी मारो आत्मा
उपधानमां मळी जाशे मारो आत्मा…
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