लावो अंतरमां अंतरिक्षजी लिरिक्स | Lavo Antar Ma Antrikshji Lyrics
सोंपी तारा चरणमां, सर्वस्व मारं, हवे आरामी क्षणो,
रहुं तारा शरणमां, बाव्ठ बनी हुं, खरी आनंदी क्षणो...
मारो आराम तुं, मारो विश्राम तुं,
अंतरिक्ष पार्श्व प्रभु तुं...
लावो अंतरमां.. अंतरिक्षजी...
गावो अंतरमां.. अंतरिक्षजी...
भावो अंतरमां.. अंतरिक्षजी...
लावो अंतरमां.. अंतरिक्षजी...
याचे तारी कने, एने आवी मब्ठे, खोबे-खोबे भरीने दे तुं,
मारो धबकार तुं, मारो रणकार तुं, अंतरिक्ष प्रभुजी तु...
रडी-रडीने आंखो मारी, याचे भावथी दिक्षा प्यारी,
जे आवे समीपे तारी, एना जाये तो विध्नों हरी,
विघ्न हरनार तुं, साचो दातार तुं,
अंतरिक्ष पार्श्व प्रभु तुं...
लावो अंतरमां...
तने दिलमां धरी, नैया पार करी, जावुं संसार सागर तरी,
मारो आधार तुं, मारो सथवार तुं, अंतरिक्ष पार्श्व प्रभु तुं...
तारा योग ने पामी करी, बनी जाउं सरिखो तरी,
सुणो पासजी वात जरी, तमे परम जगधणी,
तारो वारस हुं, मारो पारस तुं,
अंतरिक्ष पार्श्व प्रभु तुं...
लावो अंतरमां...
Lyrics :- Pravrajya Sheth
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