Rumzum Rumzum Karu Aarti Manibhadra Veer Aarti (Hindi Lyrics)
रूमज़ूम
रूमजूम करु आरती मणिभद्र आरती (Hindi Lyrics)
रूमज़ूम रूमजूम करु आरती मणिभद्र साहेब तोरी,
सबल विघनका नाश करी, इच्छा पूरी साहेब तू मेरी.
मस्तक तुमारे मुगट बिराजे, कुंडल की शोभा भारी,
पाय घुंघरु रूमजूम बाजे, जिनमंदिर शोभा भारी.
Also Read :- मणिभद्रवीर आरती
पहेले हाथमें गदा बिराजे, दूसरे हाथ डमरू,
तीसरे हाथ त्रिशूल बिराजे, चौथे हाथ घुंघरु.
खिचड़ी भात ने रोटी लापसी पुरण की पोली,
अमृत साथ लेउ मिसरी, खीर खांड़ ने धनथोली.
Also Read :- पद्मावती माता की आरती
खांजा, लाड़ू, दहीवड़ा ने पापड़ ने पूडी,
घेबर मागे सेव सवालां, बादाम पिस्ता चारोली.
श्याम सुंदर यु कर बोले, सुनो मणिभद्र स्वामी,
तुमारे चरण की सेवा शोभे हो मुजने सारे नमी.
For more popular Jain stavans , Jain bhajans, Jain stotra, JainStory,
Jain Stuti Lyrics, Jain Stavan Lyrics and many more Jain videos with Hindi
& Gujarati Lyrics. Subscribe Visit Website: www.jainstutistavan.com
0 Comments