श्री कुंभारियाजी तीर्थ
मुलनायक श्री नेमिनाथ भगवान
भगवान नेमिनाथ जी (Neminath Bhagvan) के बारे में तो किसी को क्या बताये सभी को अच्छी तरह पता हे जिन शासन में ऐसे तीर्थंकर आत्मा को उनके नाम मात्र से हमारे हर्दय में सास्वत सुख की मनोकामना (manokamana) पूरी होती हे।
हमारा ये सोभाग्य मानों की हमारी ये विरासत आज हमारे आँखों के सामने हे और उस परिकल्पना में हम खोते हुवे प्रभु को अपने पास महसूस करते है क्योकि हमारी नींद अभी तक नहीं खुली हे हमारे तीर्थो के प्रति क्यों की हमारे में जागने की परम्परा हम अपनी इच्छा से नहीं होती। अभी भी कुच्छ नहीं बिगड़ा हे, जब जागो तब सवेरा ।
प्रभु से प्रीत तो राजुल ने जोड़ी थी जो इतिहास में अमर हो गई, प्रीत ऐसे जोड़ो जो हमारा आने वाला कल लोग याद कर सके,
गाड़ी बंगले हमने बहुत बनाये हमने धन का तो बहुत परिग्रह कर लिया बहुत आदते भी हमने हमारी बिगाड़ ली और तो और बहुत कुच्छ कर लिया हमने किसके लिए सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,हम अपने स्वार्थ में इतने पागल हो गए की हमने हमारे परमात्मा के पास तक जाना छोड़ दिया।मुझे मेरी बहन जो हमारे ग्रुप में हे उसकी बात याद आती ह कुच्छ दिन पहले ही उन्होंने मुझे कही, हमारी सब मोह माया यही रह जाएगी कुच्छ साथ नहीं जायेगामेरे प्रभु के पास सब कुच्छ था क्या कमी थी, उन्होंने सब कुच्छ होते हुवे भी अपना सब कुच्छ त्याग कर दियाऔर मेरे पास अपना क्या हे कुच्छ नहीं फिर भी में कुच्छ नहीं त्याग कर सकता,यही तो सबसे बड़ी विडम्बना हे, इस भंवर जाल में, जिस दिन हमारे मन में आ जायेगा की मेरा कुच्छ नहीं हे और में मेरे परमात्मा का उस दिन हमारा मोक्ष भी हमसे दूर नहीं।
अब हम जानते हे इस तीर्थ की महिमा के बारे में क्यों की जब तक महिमा की जानकारी ना हो तब तक मन में कई बेचेनी रहती हे।यह तीर्थ स्थान एकांत जंगल में कुम्भारियाजी पहाड़ के टीले पर मोजूद हे। आबू के विमल वशहि के निर्माता विमल शाह ने विक्रम संवत १०३१ में यहाँ पर दादा नेमिनाथ का भव्या जिनालय बनाया।सुन्दर और अप्रितम जिनालय जिसको देख कर मन में जैसे मेघ उमड़ पड़े हो और मन मयूर बनकर नाचने लगता हो।इसके अलावा यहाँ पर ४ और कला पूर्ण विशाल जिन मंदिर हे। एक मंदिर में मूल नायक दादा पार्श्वनाथ जी, दुसरे में श्री शांति नाथ जी, तीसरे में संभवनाथ जी, और चौथे में चरम तीर्थंकर दादा महावीर स्वामी जी विराजमान हे।इन मंदिरों की कला का क्या कहना जैसे की साक्षात स्वर्ग जमीन पर उतर आया हो। धन्य हे मेरा जिन शासन और मेरा जन्म इस महान शासन में।।।
जब हम प्रभु के दर्शन करके हम मंदिर में नजर घुमाते हे तो हम कुच्छ नया देखते हे।क्या देखते हे की इन बारीक़ शिल्प कला में प्रभु श्री शांतिनाथ जी भगवान का समोवरसरन, श्री नेमिनाथ भगवान के पांच कल्याणक , तीर्थंकर माता के १४ स्वप्न मेरु पर्वत पर इंद्र महाराज द्वारा जन्माभिषेक आदि कई प्रसंग हमें देखने को यहाँ मिलते हे ।। मन में क्या खुशी होती हे ये तो उस समय जो वहा होता हे उसे पता चलता हे। धन्य हे वे शिल्पी जो खुद अपने हाथो की कलाकारी से एक नायाब तोहफा हमारे को दे गए ।उनका प्रेम ही तो था प्रभु के प्रति जो इतना महान कार्य उनके हाथो से हुवा और उनको पता तक नहीं चला ।
इस तीर्थ की कला, सौन्दर्य दर्शनीय हे, मनोरम नेसर्गिक वातावरण में इन्हें देख कर आबू देलवाड़ा तथा राणकपुर जी के मंदिरों की याद आती हे।
मंदिरों में सूक्षम कोरनी, शिल्प कला छतो पर की गई सुन्दर और बारीकी नकाशी और तो और प्रभु की मुख मुद्रा को देख कर रोम रोम पुलकित होना स्वाभाविक हे। यही तो प्रेम हे भक्त का प्रभु के हर्दय से, प्रभु तो राग द्वेष से मुक्त हो गए और मोह माया का त्याग कर हमें भी प्रभु के जैसा बनना हे यही भाव हमारे मन में आने चाहिए प्रभु को देख कर।
यह तीर्थ अम्बाजी तीर्थ (Ambaji Tirth) के पास सुन्दर वादियों में स्तिथ हे, आबू रोड से मात्र यह २५ कि.मी. की दुरी पर आया हुवा हे। अहमदाबाद और महेसाणा से भी यहाँ नियमित बस की अच्छी सुविधा हे। आप इस पावन भूमि के दर्शन जरुर करे और अपना पुण्य बढ़ावे, इसके पास अम्बाजी (Ambaji Tirth) में कई धर्मशालाए बहुत ही सुन्दर हे।
पेढी:- श्री आनदं जी कल्याण जी पेढी
कुम्भारिया जी जैन तीर्थ
पोस्ट अम्बाजी, तहसील दांता
जिला बनासकाठा( गुजरात)
हमारा हमेशा यही प्रयास रहता हे की हर एक नए और पुराने तीर्थ की जानकारी आप तक पहुंचाए और आपको अपने तीर्थो के बारे में जानने का पूरा शोभाग्य मिले कुच्छ गलती हमारे से भी हो सकती हे।
हमारी पूरी यही कोशिश रहेगी की आप तक जानकारी पहुँचने में कोई गलती ना हो फिर भी जिन आज्ञा के विरुद्ध कुच्छ लिखा गया हो तो मिच्छामी दुक्क्दम।
हमारी आप से यही विनती की आप एक बार इस तीर्थ की यात्रा करे और अपने जीवन में हमेशा शांति की कामना करे बस इसी आशा के साथ
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